Saturday, August 7, 2010

Deewar

http://www.youtube.com/watch?v=cnScPqDI1dc

Monday, August 2, 2010

कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है

कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है 
दर-ओ-दीवार हो जिनमें वहीं ज़िंदा नहीं होता

हमारा ये तजुर्बा की खुश होना मुहब्बत में
कभी मुश्किल नहीं होता, कभी आसान नहीं होता

बजा है ज़ब्त भी लेकिन मुहब्बत में कभी रो लें
दबाने के लिए हर दर्द-ओ-नादाँ नहीं होता

यकीन लायें तो क्या लायें जो शक लायें तो क्या लायें
की बातों से तेरी सच-झूठ का इमकान नहीं होता


फ़िराक गोरखपुरी