मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं, खो जाता है जाने कौन
वो मेरा आइना है और मैं उस की परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है, मुझ जैसा ही जाने कौन
किरण किरण अलसाता सूरज, पलक पलक खुलती नींद
धीमे धीमे बिखेर रहा है, ज़र्रा -ज़र्रा जाने कौन
निदा फाज़ली
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nice wrote
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