Sunday, June 6, 2010

कुछ और भी ज़रूरी है यार

उसूलो पर जहाँ आंच आये टकराना जरूरी है
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नज़र आना जरुरी है

थके हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें
सलीकामंद शाखों का लचक जाना जरुरी है

मेरे होंठों पर अपनी प्यास रख दो और फिर सोंचो
की इसके बाद भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है ....



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